दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने सरकार के पहले 100 दिनों का रिपोर्ट कार्ड जनता के सामने रखा। इस रिपोर्ट में उन्होंने खास तौर पर शिक्षा को लेकर सरकार की योजनाओं का ज़िक्र किया। रिपोर्ट कार्ड में यह दिखाने की कोशिश की गई कि नई सरकार सिर्फ घोषणाएं नहीं कर रही, बल्कि ज़मीन पर बदलाव भी ला रही है। शिक्षा मंत्री का कहना है कि उनका फोकस शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने और गरीब बच्चों को मुख्यधारा में लाने पर है।
उन्होंने दावा किया कि पहले से बंद पड़ी कई स्कीमों को दोबारा चालू किया गया है, और बहुत सी नई योजनाओं की शुरुआत भी की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, ज़रूरतमंद और मेधावी छात्रों को अब कोचिंग, लैपटॉप, डिजिटल लाइब्रेरी जैसी सुविधाएं दी जाएंगी ताकि वे बेहतर भविष्य की तैयारी कर सकें।
मेधावी छात्रों को मुफ्त कोचिंग
मंत्री आशीष सूद ने बताया कि जिन छात्रों के पास आर्थिक संसाधन नहीं हैं, उन्हें अब NEET और CUET जैसी बड़ी परीक्षाओं की तैयारी के लिए फ्री कोचिंग दी जाएगी। इसका मकसद यह है कि कोई भी बच्चा सिर्फ पैसों की कमी के कारण पीछे न छूटे।
कई ऐसे मामले सामने आए जहां होशियार बच्चों ने यह परीक्षाएं इसलिए छोड़ दीं क्योंकि वे महंगी कोचिंग का खर्च नहीं उठा सके। अब सरकार चाहती है कि उन बच्चों को बेहतरीन कोचिंग सेंटर में फ्री एडमिशन दिलाया जाए। इससे उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा और करियर की राह भी खुलेगी।
छात्रों को लैपटॉप, लाइब्रेरी और लैंग्वेज लैब
रिपोर्ट कार्ड में यह भी बताया गया कि 1200 मेधावी छात्रों को सितंबर तक लैपटॉप दिए जाएंगे। सरकार का मानना है कि डिजिटली सक्षम बच्चा ही आज के ज़माने में आगे बढ़ सकता है। कोविड के दौरान ये साफ हो गया कि टेक्नोलॉजी अब पढ़ाई का ज़रूरी हिस्सा बन चुकी है।
इसके साथ ही, 250 स्कूलों में डिजिटल लाइब्रेरी और 100 स्कूलों में लैंग्वेज लैब बनाने की योजना है। डिजिटल लाइब्रेरी से बच्चों को हाई-क्वालिटी कंटेंट और पढ़ाई का नया अनुभव मिलेगा। लैंग्वेज लैब्स में उन्हें नई भाषाएं सीखने का मौका मिलेगा जिससे उनका एक्सपोज़र और कॉन्फिडेंस दोनों बढ़ेगा।
छात्रों को सीएम श्री स्कूल नया विकल्प
सरकार ने 75 नए सीएम श्री स्कूल खोलने का एलान किया है। इनका मकसद यह है कि गरीब परिवारों के बच्चे भी ऐसे स्कूल में पढ़ सकें जो आधुनिक सुविधाओं से लैस हो और जहां शिक्षा का स्तर निजी स्कूलों जैसा हो।
मंत्री आशीष सूद ने कहा कि ये स्कूल सिर्फ इमारतें नहीं होंगी बल्कि ऐसे मॉडल स्कूल होंगे जो सामाजिक न्याय और क्वालिटी एजुकेशन दोनों का प्रतीक बनेंगे। इन स्कूलों को लेकर माता-पिता के बीच उम्मीदें भी बढ़ रही हैं कि उनके बच्चों को अब बेहतर माहौल में पढ़ाई मिल सकेगी।
स्कॉलरशिप और EWS एडमिशन पर जवाब
रिपोर्ट कार्ड में एक और अहम बात ये थी कि अब 3 लाख रुपये तक की सालाना आय वाले छात्रों को भी स्कॉलरशिप दी जाएगी। पहले ये सीमा कम थी जिससे कई परिवार इस लाभ से वंचित रह जाते थे। अब इस बदलाव से बड़ी संख्या में जरूरतमंद छात्रों को मदद मिल सकेगी।
EWS (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) एडमिशन को लेकर भी सरकार ने सफाई दी कि इस बार किसी तरह की धांधली नहीं हुई है। 28,000 बच्चों का एडमिशन इस कोटे में हुआ है और अब प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी रखने की कोशिश की जा रही है।
झुग्गीवासियों के लिए सुविधाएं
दिल्ली सरकार ने शिक्षा के साथ-साथ झुग्गी में रहने वाले परिवारों के लिए भी कई कदम उठाए हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि ऐसे लोगों के लिए 2,500 मकान बनाए जा रहे हैं और 700 करोड़ के बजट से शौचालय व स्नानगृह जैसी मूलभूत सुविधाएं दी जाएंगी।
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इन कदमों का उद्देश्य है कि बच्चों को सिर्फ स्कूल की चारदीवारी के अंदर ही नहीं, घर के माहौल में भी सम्मानजनक और स्वस्थ जीवन मिले। इससे छात्रों के पढ़ने का वातावरण भी सुधरेगा और उनका मानसिक विकास भी बेहतर होगा।
100 दिनों के इस रिपोर्ट कार्ड में दिल्ली सरकार ने शिक्षा क्षेत्र को लेकर कई बड़े ऐलान किए हैं। फोकस गरीबों, ज़रूरतमंदों और मेधावी छात्रों पर है। लेकिन असली सवाल यही है कि ये योजनाएं कागजों से निकलकर असल ज़िंदगी में कितनी कारगर साबित होती हैं?
अभी शुरुआत है, सरकार के पास मौका भी है और जनता की नज़रें भी उसी पर टिकी हैं। यदि ये योजनाएं वाकई ईमानदारी से लागू होती हैं, तो दिल्ली का शिक्षा मॉडल देश के लिए उदाहरण बन सकता है।
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