MP Transfer Policy 2025: अब 10 से कम छात्रों वाले स्कूलों से नहीं होगा ट्रांसफर

मध्य प्रदेश सरकार ने स्कूल शिक्षा व्यवस्था में बड़ा बदलाव करते हुए ट्रांसफर नीति में अहम सुधार किया है। इस बार फोकस है. पारदर्शिता, तकनीक और गांवों में शिक्षा को मजबूत बनाना। जिन स्कूलों में 10 से कम छात्र हैं, वहां अब शिक्षकों का ट्रांसफर नहीं होगा। सोचिए, जहां बच्चे कम हैं, वहां शिक्षक भी हटा दिए जाएं – फिर पढ़ाई कैसे चलेगी?

अब मंत्री और कलेक्टर की अनुमति जरूरी

नई नीति के तहत, 7 से 16 जून 2025 के बीच तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के ट्रांसफर तभी होंगे, जब प्रभारी मंत्री उसकी मंजूरी देंगे। इसके बाद जिला कलेक्टर के माध्यम से आदेश जारी होगा। यानी अब बगैर ऊपरी सहमति के कोई ट्रांसफर संभव नहीं।

ऑफलाइन ट्रांसफर पूरी तरह बैन

अब किसी भी प्रकार का ट्रांसफर आदेश ऑफलाइन जारी नहीं होगा। पूरा सिस्टम एजुकेशन पोर्टल 3.0 के जरिए ही चलेगा। जिला कलेक्टर की लॉगिन से शुरू होकर जिला शिक्षा अधिकारी के डिजिटल हस्ताक्षर से आदेश पास होंगे। ये बदलाव सिस्टम को डिजिटल और ट्रैकेबल बना देगा।

इन कर्मचारियों को सीधा असर

इस नए नियम का सीधा असर इन पर पड़ेगा:-

  • प्राथमिक शिक्षक

  • सहायक शिक्षक

  • विज्ञान शिक्षक

  • प्रधानाध्यापक (प्राथमिक शाला)

  • लिपिकीय वर्ग

  • भृत्य (चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी)

इन सभी का ट्रांसफर अब केवल जिला स्तर पर और मंत्री+कलेक्टर की अनुमति से ही संभव होगा।

10 से कम बच्चों वाले स्कूलों में अब स्थिरता

MP शिक्षा विभाग ने साफ कर दिया है कि जिन शालाओं में छात्रों की संख्या 10 से कम है, वहां किसी भी शिक्षक का ट्रांसफर नहीं किया जाएगा। ये निर्णय इसलिए लिया गया है ताकि ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में शिक्षा प्रभावित न हो और स्कूलों में नियमितता बनी रहे।

क्यों किया गया ये बदलाव

इस ट्रांसफर पॉलिसी का मकसद साफ है –

  • ट्रांसफर में पारदर्शिता

  • डिजिटल प्रक्रिया से रिकॉर्ड सुरक्षित

  • राजनीतिक दखल की गुंजाइश कम

  • भ्रष्टाचार और पक्षपात पर रोक

  • स्कूलों की स्टाफ स्थिरता से पढ़ाई बेहतर

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बहुत से शिक्षक और अभिभावकों ने इस फैसले का स्वागत किया है। गांवों में पहले अक्सर ट्रांसफर के चलते टीचर बदलते रहते थे, जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती थी। अब इस निर्णय से उम्मीद है कि ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था मज़बूत होगी। वहीं, कुछ कर्मचारी वर्ग में यह चिंता भी है कि ट्रांसफर प्रक्रिया अब ज़्यादा कठिन और धीमी हो सकती है। लेकिन अगर इससे भ्रष्टाचार रुके और शिक्षा सुधरे तो ये एक जरूरी कदम है।

क्या आपको लगता है कि ये नीति बदलाव सही दिशा में है? नीचे कमेंट कर अपनी राय ज़रूर दें और ऐसी ही अपडेट्स के लिए जुड़े रहें। 

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